ऑनलॉक-1 में नहीं मिला काम तो अपने रिक्शा से ही अमृतसर से अपने घर छपरा के लिए निकला चालक
Saran tak News BY_OP YADAV
सारण: देश में दो महीने से अधिक समय तक लागू रहे लॉकडाउन में छूट दिए जाने के बाद इसके दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं। बड़े शहरों में रोजगार की कमी के कारण बचे हुए लोगों का दूसरे राज्यों से अपने घर आने का सिलसिला जारी है। रविवार की सुबह भोजपुर जिले की प्रवेश सीमा सहार चेकपोस्ट पर अपने रिक्शा से अपने घर सारण जिला को जा रहा एक अधेड़ युवक चाय पीने के बाद थोड़ा सुस्ताता दिखा।
पूछने पर उसने अपनी पहचान सारण जिला के अमनोर थाना के गांधीनगर परशुरामपुर का निवासी रामनाथ महतो का पुत्र राजकुमार महतो बताया। राजकुमार महतो पंजाब के अमृतसर शहर में रहकर रिक्शा चलाकर अपनी जीविका कमाता था। पहले लॉकडाउन और फिर ग्राहकों के नहीं मिलने से उसकी कमाई बंद हो गई थी। जिस कारण उसने घर को चलना ही बेहतर समझा। प्रवासी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कभी खुद बनाकर तो कभी लंगर में खाना खाकर समय काटा।
रिक्शे पर सामान लेकर आठ जून को शुरू की थी यात्रा
लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद लंगर की व्यवस्था खत्म हो गई और पैसे भी खत्म होने को थे। जिस कारण अपने घर चलना ही मुनासिब समझा। अपने रिक्शा पर ही पूरा सामान लेकर 8 जून को अमृतसर से चलकर 1400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने निकल पड़ा। राजकुमार महतो ने बताया कि उसे किसी तरह की सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई।
आम दिनों में 500 से ₹600 प्रतिदिन कमाई करने वाले राजकुमार ने बताया कि शहरों से लोगों के अपने घरों को लौटने और पैसे की कमी के कारण आम लोग रिक्शा का इस्तेमाल न के बराबर कर रहे हैं। जिस कारण इलाके में ज्यादातर रिक्शा चलाने वाले लोग शहर छोड़कर अपने अपने घरों को जा रहे हैं। घर पर 3 बच्चे और पत्नी का खर्च कैसे चलेगा, इस चिंता के साथ राजकुमार महतो अपने घर को निकल पड़ा
सारण: देश में दो महीने से अधिक समय तक लागू रहे लॉकडाउन में छूट दिए जाने के बाद इसके दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं। बड़े शहरों में रोजगार की कमी के कारण बचे हुए लोगों का दूसरे राज्यों से अपने घर आने का सिलसिला जारी है। रविवार की सुबह भोजपुर जिले की प्रवेश सीमा सहार चेकपोस्ट पर अपने रिक्शा से अपने घर सारण जिला को जा रहा एक अधेड़ युवक चाय पीने के बाद थोड़ा सुस्ताता दिखा।
पूछने पर उसने अपनी पहचान सारण जिला के अमनोर थाना के गांधीनगर परशुरामपुर का निवासी रामनाथ महतो का पुत्र राजकुमार महतो बताया। राजकुमार महतो पंजाब के अमृतसर शहर में रहकर रिक्शा चलाकर अपनी जीविका कमाता था। पहले लॉकडाउन और फिर ग्राहकों के नहीं मिलने से उसकी कमाई बंद हो गई थी। जिस कारण उसने घर को चलना ही बेहतर समझा। प्रवासी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कभी खुद बनाकर तो कभी लंगर में खाना खाकर समय काटा।
रिक्शे पर सामान लेकर आठ जून को शुरू की थी यात्रा
लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद लंगर की व्यवस्था खत्म हो गई और पैसे भी खत्म होने को थे। जिस कारण अपने घर चलना ही मुनासिब समझा। अपने रिक्शा पर ही पूरा सामान लेकर 8 जून को अमृतसर से चलकर 1400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने निकल पड़ा। राजकुमार महतो ने बताया कि उसे किसी तरह की सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई।
आम दिनों में 500 से ₹600 प्रतिदिन कमाई करने वाले राजकुमार ने बताया कि शहरों से लोगों के अपने घरों को लौटने और पैसे की कमी के कारण आम लोग रिक्शा का इस्तेमाल न के बराबर कर रहे हैं। जिस कारण इलाके में ज्यादातर रिक्शा चलाने वाले लोग शहर छोड़कर अपने अपने घरों को जा रहे हैं। घर पर 3 बच्चे और पत्नी का खर्च कैसे चलेगा, इस चिंता के साथ राजकुमार महतो अपने घर को निकल पड़ा
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